प्रधानमंत्री भाई बलवंत सिंह राजोआणा की शीघ्र रिहाई सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप करें: सरदार सुखबीर सिंह बादल
प्रधानमंत्री भाई बलवंत सिंह राजोआणा की शीघ्र रिहाई सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप करें: सरदार सुखब
कहा कि श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व की पूर्व संध्या पर किए गए केंद्र सरकार के वादे को पूरा करने के लिए आजीवन कारावास की सजा पूरी कर चुके सभी सिख कैदियों को रिहा किए जाने की अपील की
चंडीगढ़/18अप्रैल: शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल ने आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने और भाई बलवंत सिंह राजोआणा की शीघ्र रिहाई सुनिश्चित करने का आग्रह किया ताकि 2019 में श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व की पूर्व संध्या पर आजीवन कारावास की सजा के प्रभावी समकक्ष से अधिक सजा काट चुके आठ सिख बंदियों को रिहा किया जाए ताकि सिख समुदाय से किए गए वादे को पूरा किया जा सके।
ऐसे सभी सिख कैदियों की रिहाई की मांग करते हुए अकाली दल अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप करने और सक्षम प्राधिकारी के साथ भाई राजोआणा की क्षमादान के मामले में तेजी लाने का आग्रह किया ताकि उन्हे दी गई मौत की सजा को कम किया जा सके और जल्द से जल्द उनकी रिहाई सुनिश्चित की जा सके। केंद्र सरकार ने 2019 में मौत की सजा को मानवीय आधार पर आजीवन कारावास में बदलने की मंजूरी दे दी थी।
सरदार सुखबीर सिंह बादल ने इस मुददे पर प्रधानमंत्री को तत्काल ध्यान देना चाहिए , क्योंकि भारत के संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत एक क्षमादान याचिका जो 25 मार्च 2012 को एसजीपीसी द्वारा दायर की गई थी, अभी भी राष्ट्रपति के पास लंबित है। उन्होने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार को 30 अप्रैल तक भाई राजोआणा की दया याचिका पर फैसला लेने का नोटिस जारी किया था।
सरदार बादल ने अपने पत्र में कहा कि उन्हे आशा है कि प्रधानमंत्री इस बात की सराहना करेंगें कि क्योंकि केंद्र सरकार ने उनकी मौत की सजा को कम कर दिया था , इसीलिए भाई राजोआणा को जेल में रखने का कोई औचित्य नही है। उन्होने कहा कि सिख कैदी को पहले ही 26 साल के लिए जेल में रखा गया , जोकि आजीवन कारावास की प्रभावी अवधि से काफी अधिक है।
अकाली दल अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री को यह भी बताया कि शिरोमणी अकाली दल(शिअद) ने भाई राजोआणा की मौत की सजा को उम्रकैद और बाद में उनकी रिहाई के लिए अनुरोध करने के लिए केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। उन्होने कहा कि शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) , जो सिख धर्मस्थलों का प्रबंधन करती है, और जिसके सदस्यों को सिख संगत द्वारा लोकतांत्रिक तरीके से चुना जाता है, ने भी केंद्र सरकार को इसी तरह के मांग पत्र प्रस्तुत किए थे।
सरदार बादल ने यह भी बताया कि पूर्ववर्ती अकाली दल के नेतृत्व वाली सरकार भाई राजोआणा के लिए लगातार न्याय की मांग करती रही है। उन्होने कहा कि पूर्ववर्ती अकाली दल की अगुवाई वाली सरकार ने न केवल भाई राजोआणा को फांसी देने के न्यायिक आदेशों के खिलाफ अपना कड़ा विरोध व्यक्त किया था, बल्कि तत्कालीन मुख्यमंत्री सरदार परकाश सिंह बादल ने भी इन आदेशों को लागू करने से इंकार कर दिया था।
सरदार बादल ने यह भी बताया कि दुनिया भर के सिख चाहते हैं कि भाई राजोआणा को रिहा किया जाए और वे श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व समारोह की पूर्व संध्या पर समुदाय से किए गए वादे को पूरा करने का इंतजार कर रहे हैं।
अकाली दल अध्यक्ष ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी ऐसी ही अपील की।